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ममता से बंधे पांव, बच्चे की आड़ में मां से कराते हैं वैश्यावृत्ति

वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी महिलाएं यहां स्वेच्छा से नहीं आतीं. कुछ आर्थिक मजबूरी के चलते इस नारकीय ‘पेशे’ में हैं, तो कुछ को नौकरी के झांसे में दलालों के हाथों बेच दिया गया है. धोखाधड़ी और मजबूरी की मार के साथ-साथ यहां एक और बड़ी मजबूरी बनी है मातृत्व.

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मैं आज जो भी हूं मेरी मां के कारण हूं: मैत्रेई पुष्पा

वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार एवं हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रैई पुष्पा बेबाक होकर महिला संबंधित मुद्दों पर लिखती रही हैं. उनकी धारदार लेखनी आलोचकों के निशाने पर भी रही है. उनके विचारों से रूबरू होकर और उनके लिखे को पढ़कर अक्सर मन में सवाल उठता है कि वह ऐसी क्यों हैं?

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अब सिर्फ सवारी नहीं ड्राइवर भी हैं महिलाएं, खुले रोजगार के नए रास्ते

आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं, लेकिन हमारे दोगले समाज ने उसमें भी महिलाओं के लिए एक दायरा सीमित कर दिया. पुरुषवादी मानसिकता वाले समाज में महिलाओं को अब तक रोजगार के कई क्षेत्रों से दूर रखा गया  है. पुरूषों को इस बात का

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