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‘बहन भी भाई की रक्षा करती है, तो क्यों न भाई भी बहन को राखी बांधे’

रक्षाबंधन के त्योहार के वर्तमान स्वरूप और इसमें छुपे लैंगिक भेदभाव पर नारी उत्कर्ष की ​सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक कमला भसीन  से विशेष बातचीत:  कई भारतीय त्योहारों में देखा जाता है कि पुरुष उनके केंद्र में होते हैं. रक्षा बंधन को देखिए या भाई दूज या फिर करवाचौथ. अब रक्षा बंधन को

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झुग्गी में रहने वाली एक दलित महिला ऐसे बनी सफल उद्योगपति

कुछ फिल्मों की कहानियों को देखकर हम कहते हैं कि यह तो फिल्म है असल में ऐसा नहीं होता. परंतु कल्पना सरोज की कहानी किसी फिल्म की तरह अविश्वसनीय जरूर लगती है लेकिन उन्होंने इसे सच कर दिखाया है. बाल विवाह का शिकार हुई एक दलित महिला जिसने समाज से तंग

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वंदना लूथरा: महिलाअों के लिए बनीं प्रेरणा

कहते हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। उसी तरह काम करने की भी कोई उम्र या समय नहीं होते। अगर आप कुछ ठान लें और उसके लिए लगातार प्रयास करें तो सफल होने की संभावनाएं तब भी उतनी ही बनी रहती हैं। इस बात को प्रमाणित करती हैं

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story of child abuse by relatives

जब प्यार की आड़ में होता है शारीरिक शोषण

लड़कियों को सुरक्षा के नाम पर लोग उन्हें घर तक सीमित रखते हैं। बाहरी लोगों से लड़कियों और बच्चियों को खतरे के चलते उन पर ये सब पाबंदियां लगाई जाती हैं लेकिन उस खतरे पर शायद ही कोई गौर करता है, जो लड़कियों को घरों के अंदर होता है। आपको

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property rights of women in india

महिलाओं को संपत्ति से जुड़े अपने अधिकार जानने हैं जरूरी

समाज में महिलाओं को समानता दिलाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने विभिन्न कानूनों का प्रावधान किया है। स्त्री को दहेज, घरेलू हिंसा, श्रम में भेदभाव के खिलाफ, सम्पत्ति में हिस्सा, विवाह और तलाक आदि संबंधी कई अधिकार दिए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में महिलाएं समाज

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i am nothing without work

काम के बिना मैं कुछ नहीं हूं: पूजा बंसल

महिला उद्यमी यानी यहां हम आपके सामने ला रहे हैं ऐसी महिलाएं जो किसी भी आम लड़की की तरह सामान्य परिवार में पढ़ी लिखी और कई सामाजिक व आर्थिक रुकावटों के बावजूद भी सफलता के मुकाम पर पहुंची। आज चाहे वो बढ़े उद्योगपतियों की सूची में हो न हो पर

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घरेलू हिंसा के विरूद्ध कानून देता है ये अधिकार

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2013 में घरेलू हिंसा के 118866 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2012 के मुकाबले 2013 में इन घटनाओं में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत में अधिकतर महिलाएं किसी न किसी रूप में घरेलू हिंसा झेलती हैं, जो कई बार हत्या

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सम्पति और भरण-पोषण का अधिकार

समाज में महिलाओं को समानता दिलाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई कानून बनाए हैं. महिलाओं को दहेज, घरेलू हिंसा, श्रम में भेदभाव के खिलाफ, सम्पत्ति में हिस्सा, विवाह और तलाक आदि संबंधी कई अधिकार दिए गए हैं. इसके बावजूद बड़ी संख्या में महिलाएं समाज में भेदभाव की शिकार

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वीरांगना झलकारी बाई

कुछ लोगों को उसके योगदान से अधिक मिल जाता है, तो कुछ  को बहुत कम. बात जब महिलाओं की हो, तो हमें  कुछ गिने-चुने नाम हीं याद रहते हैं, जिन्होंने इतिहास के पन्नों पर अपना नाम प्रमुखता से दर्ज कराया है. नारी उत्कर्ष उन महिलाओं यानी महास्त्रियों से आपका परिचय

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sexual harassment by a relative

जब अपनी ही बुआ के लड़के ने बनाया शिकार

अक्सर लोग अपने रिश्तेदारों को अपना शुभचिंतक समझते हैं, उनके ऊपर शक नहीं करते और न ही उनकी गतिविधियों पर ध्यान देते हैं. यहां तक कि अगर उन्हें अपने इन रिश्तेदारों की गतिविधियां संदिग्ध जान भी पड़ती है, तो उसे उपेक्षित कर देते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि

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