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एक ऐसी लक्ष्मी जो लोग घर में नहीं चाहते, आखिर क्यों?

हर दिवाली पर लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं. इस पूजा में लोग धन की देवी लक्ष्मी को अपने घर आने का अनुरोध करते हैं. दिवाली के अलावा भी कौन नहीं चाहता कि उसके घर लक्ष्मी पधारे. लेकिन, एक लक्ष्मी ऐसी भी है जिसे हम घर के अंदर नहीं लाना चाहते. उसे

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Saudi arab women can start business without permission of male relative

सऊदी में बिना पुरुषों की मंजूरी के कारोबार कर सकेंगी महिलाएं

सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविग करने और फुटबॉल मैच देखने की इजाजत के बाद अब एक और अधिकार मिल गया है. सऊदी अरब की म​हिलाओं को अब कोई कारोबार करने के लिए पने पति या पुरुष रिश्तेदार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. वह अपनी मर्जी से करोबार शुरू

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economic survey of india says women participation increased in agriculture

आर्थिक समीक्षा: कृषि क्षेत्र में बढ़ी महिलाओं की हिस्सेदारी

पुरुषों के शहरों की तरफ पलायन करने के बीच देश में कृषि कार्य में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 में यह निष्कर्ष निकाला गया है. समीक्षा में कहा गया है, ‘‘पुरूषों के गांव से शहर की

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economic survey

कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी से वृद्धि दर प्रभावित

इस बार आर्थिक समीक्षा परंपरा से हटकर गुलाबी रंग में रंगी दिखी. इसके जरिए सरकार ने महिला संबंधी मुद्दों को महत्व देने की कोशिश की. इसमें कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं की श्रम, कृ​षि और राजनीति में भागीदारी जैसे मसलों को उठाया गया. आर्थिक समीक्षा में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी पर

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women empowerment, women employment

घर में औरत और बाहर मर्द खाना क्यों बनाते हैं?

हमारे घरों में अधिकतर औरतें ही खाना बनाती हैं. एक तरह से यह काम उनके लिए पेटेंट कर दिया गया है. कितनी ही अच्छी नौकरी करने वाली लड़की क्यों न हो पर घर की यह जिम्मेदारी उसी के सिर मढ़ दी जाती है. वहीं, जब हम घर से बाहर सड़कों

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पेट्रोल पंप पर फिलर के काम में लड़कियां, खुले रोजगार के नए रास्ते

दिल्ली के केशव पुरम में बने पेट्रोल पंप में काम करने वाली छह लड़कियां, रोजना की तरह सहजता से गाड़ियों में पेट्रोल भरती हैं लेकिन गाड़ी में पेट्रोल भरवाने आए लोग उन्हें देखकर कुछ देर हैरान जाते हैं. पेट्रोल पंप पर फिलर के तौर पर लड़कियों को देखकर किसी का

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do you know about the discrimination behind these phrases

इन कहावतों में छुपा भेदभाव क्या जानते हैं आप?

हमारी बोलचाल का हिस्सा बन चुकीं कई कहावतों में कहीं महिलाओं को कमजोर बताया गया तो कहीं, उनका वस्तुकरण किया गया है. इन कहावतों को बार-बार दोहराकर हम महिलाओं की विकृत छवि को और सुदृढ़ कर देते हैं. ऐसी ही कुछ कहावतों का विवरण नीचे दिया गया है: हाथों में चूड़ियां

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माहवारी पर ‘गूंज’: पेट तो भर नहीं पाते, कपड़ा कहां से लाएं

माहवारी से जुड़े अंधविश्वास और साफ-सफाई के मसले पर लगातार बात किया जाना जरूरी है. इस मसले से जुड़ी शर्म और उसके कारण होने वाली समस्याएं तभी खत्म होंगी जब इस विषय पर बात हो और हर एक पक्ष पर चर्चा के जरिए जागरुकता लाई जाए. ऐसे ही एक प्रयास के

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राखी पर एक ‘भाई’ ने ‘बहन’ को दिया शौचालय का तोहफा

किसी पर्व-त्योहार पर कुछ सकारात्मक करने की कोशिश होनी चाहिए, जिसमें अपने परिवार के अलावा थोड़ा आसपास के लोगों के ऊपर भी ध्यान दिया जा सके. कुछ ऐसा ही काम बुलंदशहर के दानागढ़ के विनोद कुमार राघव ने किया है. उन्होंने अपने गांव की एक गरीब महिला कल्लो देवी (कलावती) से

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‘बहन भी भाई की रक्षा करती है, तो क्यों न भाई भी बहन को राखी बांधे’

रक्षाबंधन के त्योहार के वर्तमान स्वरूप और इसमें छुपे लैंगिक भेदभाव पर नारी उत्कर्ष की ​सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक कमला भसीन  से विशेष बातचीत:  कई भारतीय त्योहारों में देखा जाता है कि पुरुष उनके केंद्र में होते हैं. रक्षा बंधन को देखिए या भाई दूज या फिर करवाचौथ. अब रक्षा बंधन को

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