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सम्मान और शिक्षा के लिए जूझतीं सेक्स वर्कर्स की बेटियां

समाज द्वारा सेक्स वर्कर को दी गई जिल्लत उनके बच्चों को विरासत में मिलती है. बच्चा अगर लड़की हो तो मां का काम भी उसकी नियती बन जाती है. मां के न चाहने पर भी समाज अपनी निष्ठुरता और उपेक्षा से उसे अंधेरी गलियों में जाने को मजबूर कर देता

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ममता से बंधे पांव, बच्चे की आड़ में मां से कराते हैं वैश्यावृत्ति

वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी महिलाएं यहां स्वेच्छा से नहीं आतीं. कुछ आर्थिक मजबूरी के चलते इस नारकीय ‘पेशे’ में हैं, तो कुछ को नौकरी के झांसे में दलालों के हाथों बेच दिया गया है. धोखाधड़ी और मजबूरी की मार के साथ-साथ यहां एक और बड़ी मजबूरी बनी है मातृत्व.

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सुप्रीम कोर्ट में एक भी महिला नहीं बनी मुख्य न्यायाधीश, कौन जिम्मेदार?

न्यायालयों में आंख पर पट्टी बांधे न्याय की देवी की मूर्ति होती है. उनके हाथ में एक तराजू होता है, जिसके दोनों पलड़े समान होते हैं लेकिन इस मूर्ति के पास रखे न्याय के सिंहासन पर बैठने वाले न्यायाधीशों की संख्या की ओर एक नजर डालें, तो यहां असमानता का

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मैं आज जो भी हूं मेरी मां के कारण हूं: मैत्रेई पुष्पा

वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार एवं हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रैई पुष्पा बेबाक होकर महिला संबंधित मुद्दों पर लिखती रही हैं. उनकी धारदार लेखनी आलोचकों के निशाने पर भी रही है. उनके विचारों से रूबरू होकर और उनके लिखे को पढ़कर अक्सर मन में सवाल उठता है कि वह ऐसी क्यों हैं?

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घर-घर अखबार पहुंचाती है जयपुर की बेटी अरीना, राष्ट्रपति से मिला सम्मान

अक्सर हम कहते-सुनते हैं कि लड़कियां ये काम नहीं कर सकतीं, वो काम नहीं कर सकतीं, ये तो लड़कों का काम होता है. लेकिन, अरीना खान जैसी लड़कियां साबित करके दिखाती हैं कि काम तो काम होता है, उसे लड़का या लड़की के आधार पर नहीं बांटा जा सकता. जयपुर की

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लड़की की एक शिकायत पर क्यों टूट पड़ती हैं हजारों विरोधी आवाजें

वर्णिका कुंडु के पीछा करने और अपहरण का प्रयास करने के मामले कई तरह के कुतर्क सुनने को मिल रहे हैं. जैसे वो रात को बाहर ही क्यों निकली थी? उसने शराब पी थी. सिर्फ पीछा ही तो किया था. ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी लड़की की शिकायत

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वो गरीब तो है पर बेचारी नहीं…

'बेचारी औरत, पति ने छोड़ दिया, अकेली है और बच्चा भी है, क्या करेगी. मर्द तो मर्द होता है, घर में एक मर्द का होना जरूरी है.' ऐसी बातें अक्सर सुनने को मिल जाती हैं। लेकिन, सुशीला (बदला हुआ नाम) जैसी महिलाएं इन बातों को गलत साबित करते हुए अकेले

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Girls must wear proper helmets while driving and sitting back seat

लड़कियों के सिर लोहे के नहीं

बरसों से गाड़ी पर पीछे बैठ रहीं औरतों का ख्याल सरकार को तो देर से आया ही लेकिन महिलाएं अब भी नहीं जागी हैं। बाइक या स्कूटर पर पीछे बैठने वाली महिलाओं के लिए हेल्मेट अनिवार्य होने के बावजूद भी पूरी तरह से नियम का पालन नहीं हो रहा है।

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we should need to be more professional with women in office

क्या आॅफिस में आपके साथ भी हुआ है ऐसा व्यवहार

आज दफ्तरों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी काम करने लगी हैं। वह भी कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और अपनी क्षमताओं का परिचय दे रही हैं। वह आॅफिस में किसी तरह के काम में न पीछे रहती हैं और न रहना चाहती हैं। यहां तक की प्रत्येक

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driving is a sign of women empowerment

हाथ में स्टीयरिंग तो दुनिया मुठ्ठी में

ड्राइविंग केवल गाड़ी चलाना नहीं बल्कि अपने रास्ते खुद तय करने का परिचायक है. गाड़ी की स्टीयरिंग आपके हाथ में आते ही मन पहले थोड़े डर और फिर विजयी होने के गर्व से भर जाता है. आपके अंदर आत्मविश्वास का संचार होता है और आप परनिर्भर से आत्मनिर्भर हो जाती

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