
दिल्ली के केशव पुरम में बने पेट्रोल पंप में काम करने वाली छह लड़कियां, रोजना की तरह सहजता से गाड़ियों में पेट्रोल भरती हैं लेकिन गाड़ी में पेट्रोल भरवाने आए लोग उन्हें देखकर कुछ देर हैरान जाते हैं. पेट्रोल पंप पर फिलर के तौर पर लड़कियों को देखकर किसी का भी हैरान होना स्वाभाविक है क्योंकि इस पेशे में हमें लड़कियों को देखने की आदत नहीं है. इस काम में अधिकतर पुरुष फिलर ही दिखाई देते हैं.
केशव पुरम बी ब्लॉक के इस इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप में काम करने वाली लड़कियां रोजगार के एक ऐसे क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज करा रही हैं जहां लड़कियों की मौजूदगी न के बराबर है जबकि फिलर के काम में नौकरियां भी हैं और ठीक-ठाक पैसा भी. कई लोग इसकी आय से जीवनयापन कर रहे हैं.
फिलर का काम लड़कियों के लिए रोजगार का बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है. अक्सर हम पेट्रोल पंप पर लड़कों को ही पेट्रोल भरते देखते हैं लेकिन यह काम ऐसा नहीं है, जिसे केवल लड़के ही कर सकें. अगर लड़कियों को मौका मिले तो वह भी बखूबी इस काम को करती हैं. साथ ही इसके लिए उच्च शिक्षा और कम्यूनिकेशन स्किल आदि में दक्षता न होने पर भी नौकरी मिल सकती है.
अफसोसजनक है कि अभी तक इस काम में लड़कियां न के बराबर हैं. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इस काम में पुरुषों की संख्या अधिक होने से इसका लड़कियों के लिए असहज लगना या कुछ भ्रांतियां भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. फिर भी वक्त के साथ परिस्थितियां बदल रही हैं और कुछ लड़कियां इस क्षेत्र में काम करके दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं. केशव पुरम के पेट्रोल पंप पर इस समय पांच में से छह लड़कियां फिलर के तौर पर काम करती हैं. इनमें से कुछ लड़कियां ये काम आज से नहीं बल्कि नौ-दस सालों तक से कर रही हैं.

जब इन लड़कियों से बात की गई तो वो अपने काम के बारे में बहुत खुश होकर बताती हैं और इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हैं. इस पेट्रोल पंप पर आठ साल से काम कर रहीं फिलर दर्शना बताती हैं कि उन्होंने शादी के बाद यहां ज्वाइन किया था. पहले तो घरवालों ने इसके लिए मना किया और कई आपत्तियां जताई थीं, लेकिन दर्शना ने जिद नहीं छोड़ी. उन्होंने यहां ज्वाइन किया और कुछ ही दिनों में काम सीख भी गईं.
दर्शना आठवीं कक्षा तक पढ़ी हैं लेकिन यह काम बहुत अच्छे से कर रही हैं और अपने बच्चों को खुद पाल रही हैं. इतने सालों में न केवल उन्होंने खुद को साबित किया है बल्कि कई अन्य लड़कियों को काम भी सिखाया है. वह बताती हैं कि उन्हें इस काम में कोई दिक्कत नहीं होती. उन्हें बस गाड़ियों में पेट्रोल भरना होता है और बाकि कुछ ऑफिशियल काम होते हैं. वह सुबह की शिफ्ट में काम करते हैं और समय से घर भी पहुंच जाती हैं.
वहीं, एक और फिलर सोनिया की मुस्कुराहट और चुस्ती-फुरती से पता चलता है कि उन्हें अपने काम से कितना लगाव है. वह चार साल पहले इस पेट्रोल पंप में आई थीं और अब तो हर काम में माहिर हो गई हैं.
वह बताती हैं, ‘घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी. इसलिए मैं नौकरी करके घर में मदद करना चाहती थी. तब यहां वेकेंसी का पता चला तो मेरे माता-पिता खुद मुझे लेकर यहां आए और मैंने काम करना शुरू कर दिया. अब बहुत अच्छा लगता है कि मेरी बड़ी बहन की शादी में मैंने घरवालों की मदद भी की.’ सोनिया ने ग्रेजुएशन में पहले साल तक कि पढ़ाई की है और वह अपने काम से बेहद खुश हैं. वह अपनी नौकरी को इसी तरह आगे भी जारी रखना चाहती हैं.

यहीं काम करने वाली मधु तो एक ऑफिस की नौकरी छोड़कर पेट्रोल पंप पर काम करने आई हैं. वह यहां तीन साल से काम कर रही हैं और इसे आॅफिस जाॅब से अच्छा मानती हैं. उनका कहना है कि उन्हें आॅफिस में एक ही जगह बैठे-बैठे काम करना पड़ता था. वहां सीमित लोग थे. यहां चलना फिरना रहता है तो अच्छा लगता है. मधु ग्रेजुएट हैं और इस काम को करने में कोई शर्म महसूस नहीं करतीं.
केवल लड़कियां ही काम से खुश नहीं हैं बल्कि उनकी मैनेजर वत्सला भी इन लड़कियों को बहुत काबिल मानती हैं. उनका कहना है कि ये लड़कियां बहुत मेहनत से काम करती हैं और अच्छा व्यवहार करती हैं. इनके चलते ग्राहकों से बहुत ज्यादा झगड़ा भी नहीं होता और शांति से काम चलता रहता है. वह बताती हैं कि इंडियन आॅयल ने परीक्षण के तौर पर इस पंप में लड़कियों को नौकरी दी थी. कंपनी का यह परीक्षण सफल रहा और लड़कियों ने बहुत अच्छे से यहां काम संभाला है.
फिलर के काम में आय भी ठीकठाक है. इसमें 8,500 से शुरूआत होकर 17,000 तक वेतन पहुंच सकता है. काम करने के घंटे भी बहुत लंबे नहीं होते है. अधिकतम 8 से 8.50 घंटे तक काम करना होता है.