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इन कहावतों में छुपा भेदभाव क्या जानते हैं आप?

हमारी बोलचाल का हिस्सा बन चुकीं कई कहावतों में कहीं महिलाओं को कमजोर बताया गया तो कहीं, उनका वस्तुकरण किया गया है. इन कहावतों को बार-बार दोहराकर हम महिलाओं की विकृत छवि को और सुदृढ़ कर देते हैं. ऐसी ही कुछ कहावतों का विवरण नीचे दिया गया है: हाथों में चूड़ियां

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शहीद प्रीतिलता वाडेदार: भारतीयों का अपमान करने वाले यूरोपियन क्लब का निकाला दम

गुलामी की जंजीर ऐसे ही नहीं टूटती है, उसके लिए शहादत की आवश्यकता होती है. भारत को ब्रिटिश गुलामी से मुक्त कराने के लिए भी लाखों लोगों ने कुर्बानी दी है. इन्हीं शहीदों में से एक थी, प्रीतिलता वाडेदार. नारी उत्कर्ष के इस अंक में महास्त्री प्रीतिलता की हिम्मत, हौसले

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वीरांगना उदा देवी: अंग्रेजों ने भी जिसे माना ‘ब्लैक टाइग्रैस’

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने भी उसी तरह की भूमिका निभाई है, जैसा कि पुरुषों ने, लेकिन पुरूषवादी समाजिक मानसिकता ने इसे छिटपुट तरीके से ऐसे पेश किया जैसे महिलाओं का योगदान नाम मात्र का वो भी पुरुषों की कृपा से रहा है. इतिहास के पन्ने  कुरेदकर कुछ वैसी

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लड़की की एक शिकायत पर क्यों टूट पड़ती हैं हजारों विरोधी आवाजें

वर्णिका कुंडु के पीछा करने और अपहरण का प्रयास करने के मामले कई तरह के कुतर्क सुनने को मिल रहे हैं. जैसे वो रात को बाहर ही क्यों निकली थी? उसने शराब पी थी. सिर्फ पीछा ही तो किया था. ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी लड़की की शिकायत

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माहवारी पर ‘गूंज’: पेट तो भर नहीं पाते, कपड़ा कहां से लाएं

माहवारी से जुड़े अंधविश्वास और साफ-सफाई के मसले पर लगातार बात किया जाना जरूरी है. इस मसले से जुड़ी शर्म और उसके कारण होने वाली समस्याएं तभी खत्म होंगी जब इस विषय पर बात हो और हर एक पक्ष पर चर्चा के जरिए जागरुकता लाई जाए. ऐसे ही एक प्रयास के

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राखी पर एक ‘भाई’ ने ‘बहन’ को दिया शौचालय का तोहफा

किसी पर्व-त्योहार पर कुछ सकारात्मक करने की कोशिश होनी चाहिए, जिसमें अपने परिवार के अलावा थोड़ा आसपास के लोगों के ऊपर भी ध्यान दिया जा सके. कुछ ऐसा ही काम बुलंदशहर के दानागढ़ के विनोद कुमार राघव ने किया है. उन्होंने अपने गांव की एक गरीब महिला कल्लो देवी (कलावती) से

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‘बहन भी भाई की रक्षा करती है, तो क्यों न भाई भी बहन को राखी बांधे’

रक्षाबंधन के त्योहार के वर्तमान स्वरूप और इसमें छुपे लैंगिक भेदभाव पर नारी उत्कर्ष की ​सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक कमला भसीन  से विशेष बातचीत:  कई भारतीय त्योहारों में देखा जाता है कि पुरुष उनके केंद्र में होते हैं. रक्षा बंधन को देखिए या भाई दूज या फिर करवाचौथ. अब रक्षा बंधन को

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मेकेनिकः कम शिक्षित महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा जरिया

मेकेनिक एक ऐसा काम है जहां उच्च शिक्षा न होने पर भी आप इसे आजीविका का साधान बना सकते हैं. लेकिन, इस जहां इस क्षेत्र में लड़कों की संख्या बहुत अधिक है वहीं, लड़कियां नदारद हैं. मेकेनिक के काम में लड़कियों के आने का चलन अभी बहुत ही शुरूआती दौर

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भाईचार और महापुरुष, क्या इन शब्दों में छुपा भेदभाव जानते हैं आप?

हमारे समाज में स्त्रियों से भेदभाव केवल व्यवहारिक तौर पर नहीं है बल्कि इसकी जड़ इतनी गहरी समाई है कि अक्सर बोले और लिखे जाने होने वाले शब्दों मेें भी यह अंतर झलकता है। इतना ही नहीं इस भेदभाव को इस तरह हमारे जीवन में शामिल कर दिया गया है

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झुग्गी में रहने वाली एक दलित महिला ऐसे बनी सफल उद्योगपति

कुछ फिल्मों की कहानियों को देखकर हम कहते हैं कि यह तो फिल्म है असल में ऐसा नहीं होता. परंतु कल्पना सरोज की कहानी किसी फिल्म की तरह अविश्वसनीय जरूर लगती है लेकिन उन्होंने इसे सच कर दिखाया है. बाल विवाह का शिकार हुई एक दलित महिला जिसने समाज से तंग

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